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शुक्रवार, 12 जून 2015

तुम रहना




तुम रहना ता
कि उम्मीद बची रहे
जैसे ठूंठ पीपल की फुनगी पर बची है एक कोंपल
तुम रहना ताकि विश्वास बचा रहे
जैसे मेरे गांव की बाबू टोली में बचा है सुभान मियां का घर
तुम रहना ताकि ईमान बचा रहे
जैसे बचा है मेहनत मजूरी के पैसे में नमक
तुम रहना ताकि पहचान बची रहे
जैसे बची हैं कुछ फसलें वर्णशंकर बीजों से 
तुम रहना ताकि हंसी बची रहे
जैसे बचा है दिनभर देह पीटकर लौट रही मां के सीने में उतरता दूध
तुम रहना ताकि रसोई बची रहे
जैसे बचा है घर में पिज्जा बर्गर के बावजूद जीभ पर दाल भात का स्वाद
तुम रहना ताकि प्यार बचा रहे
जैसे बची रहती है कड़कड़ाती ठंड में भी तुम्हारी हथेलियों की गरमाहट


तुम रहना