किसी नए सिले कोट पर
गिरी चिनगारी सी
रफ़ू के दाग़
छोड़ जाती हैं यादें.
एक खूबसूरत मकान की
दरकी दीवार में
गारे की लकीर सी
पड़ी रहती हैं यादें
अनजाने ही
पुरवाई सी
किसी पुराने दर्द को
छेड़ जाती हैें यादें
ढलती रातों में
अलाव की आंच सी
पोर पोर
सहला जाती हैं यादें ॉ.
चिलचिलाती दोपहरी में
चक्कर काटती हैं चीलों सी
कहीं ना कहीं कुछ
ढूंढती रहती हैं यादें.
समय की पीठ पर
भागते सवार सी
धुंध और दूरियों में
सिमटती जाती हैं यादें.
गिरी चिनगारी सी
रफ़ू के दाग़
छोड़ जाती हैं यादें.
एक खूबसूरत मकान की
दरकी दीवार में
गारे की लकीर सी
पड़ी रहती हैं यादें
अनजाने ही
पुरवाई सी
किसी पुराने दर्द को
छेड़ जाती हैें यादें
ढलती रातों में
अलाव की आंच सी
पोर पोर
सहला जाती हैं यादें ॉ.
चिलचिलाती दोपहरी में
चक्कर काटती हैं चीलों सी
कहीं ना कहीं कुछ
ढूंढती रहती हैं यादें.
समय की पीठ पर
भागते सवार सी
धुंध और दूरियों में
सिमटती जाती हैं यादें.