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शुक्रवार, 19 जून 2015

एक सवाल



कभी सन्नाटों से बातें करना याद आता होगा
कभी रिमझिम का संगीत आकर गुदगुदाता होगा
कभी बस्ती की वीरान दोपहरी भी खींच ले जाती होगी
कभी उसके होठों के गीले कोरों की मिठास ज़ुबान पर आज भी घुल जाती होगी
और कभी कामयाबी की इतनी मंज़िलें लांघने के बाद..
एक सवाल पास बैठ पूछता होगा...
इस आधी गीली आधी सूखी ज़िन्दगी का क्या किया जाए???