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बुधवार, 10 जून 2015
मेरे खिलाफ पूरा लश्कर खड़ा है
मेरे खिलाफ पूरा लश्कर खड़ा है
मेरा वजूद क्या इतना बड़ा है!
ज़िक्र ना करने की ताकीदें हैं
मेरी तारीफ का खामियाज़ा बड़ा है.
लकीरें मिटाने से कहां मिटती हैं
वक्त है उसका आईना खरा है..
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