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रविवार, 24 मई 2015

एक बात

     
ना भी कहते, पता था, फिर क्यों 
आदमी तनहा था, रहेगा, फिर क्यों
बात थी बहुत नुकीली, उफ़्फ़ तौबा
रुह छिली, साँस सीली, फिर क्यों
नींद की आँख, काँच की रेत
इश्क़ दरिया, चढ़ा-खड़ा, फिर क्यों
एक तू, एक मैं और एक सवाल
रूह-रूह पानी, पता है, फिर क्यों