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शुक्रवार, 19 जून 2015

नक्सल


बारूदी गंध बुनती है
रात भर सपने आग के
जंगलों में उतरे हैं
जुगनू सरकार के.
गयी रात मैं जगा हूँ
कोई तो बात है
अब हाथ बदल गए हैं
हथियार के.