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रविवार, 5 जुलाई 2015

आसमान

धरती को चाहिए ही चाहिए
एक आसमान
आसमान जो बादलों को संभाल सके
कहकशां को अटा सके
चांदनी को पसार सके
और धूप को समेट सके
क्योंकि इन्हीं बादलों, कहकशां
चांदनी और धूप में
पलते हैं
धरती के कई सपने.