दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी है - डर
जिंदा लाश होते हैं डरे हुए लोग
बोलते हैं, आवाज़ नहीं उठा पाते
प्रेम करते हैं, स्वीकार नहीं कर पाते
सपने देखते हैं, सपने जी नहीं पाते
रिश्ते बनाते हैं, निभा नहीं पाते
डरे हुए लोग.
बोलते हैं, आवाज़ नहीं उठा पाते
प्रेम करते हैं, स्वीकार नहीं कर पाते
सपने देखते हैं, सपने जी नहीं पाते
रिश्ते बनाते हैं, निभा नहीं पाते
डरे हुए लोग.
उनकी कोई अलग पहचान नहीं होती
गलत काम पर आह भरेंगे
लेकिन घर से नहीं निकलेंगे
जुलूस-जलसा देखकर सो जाएंगे
छोटी छोटी सहूलियतों के लिये
आंखें बंद रखने की इंतेहा करते हैं
डरे हुए लोग.
गलत काम पर आह भरेंगे
लेकिन घर से नहीं निकलेंगे
जुलूस-जलसा देखकर सो जाएंगे
छोटी छोटी सहूलियतों के लिये
आंखें बंद रखने की इंतेहा करते हैं
डरे हुए लोग.
कमाल करना चाहते हैं
जोखिम नहीं उठा सकते
दुनिया बदलना चाहते हैं
खुद को नहीं बदल सकते
रोटी, बेटी और अगली पुश्त में फंसे रहते हैं
खुद के बारे में सोच नहीं पाते
डरे हुए लोग.
जोखिम नहीं उठा सकते
दुनिया बदलना चाहते हैं
खुद को नहीं बदल सकते
रोटी, बेटी और अगली पुश्त में फंसे रहते हैं
खुद के बारे में सोच नहीं पाते
डरे हुए लोग.
निहायत शरीफ होते हैं
घर से काम पर और काम से घर लौटते हैं
उनके लिये जीना सबसे जरुरी काम है
बस जीने के लिये सारी हिकारतें सहते हैं
कंधों पर बेहिसाब बोझ ढोते हैं
कहना तो सच ही चाहते हैं
लेकिन कह नहीं पाते
डरे हुए लोग.
घर से काम पर और काम से घर लौटते हैं
उनके लिये जीना सबसे जरुरी काम है
बस जीने के लिये सारी हिकारतें सहते हैं
कंधों पर बेहिसाब बोझ ढोते हैं
कहना तो सच ही चाहते हैं
लेकिन कह नहीं पाते
डरे हुए लोग.
करते खुद हैं, यकीन किस्मत पर करते हैं
पंडे-बाबा, मठ-मंदिर सब आबाद करते हैं
भूखे को भगाते हैं, भगवान को भरते हैं
फरेब को भी पुण्य समझते हैं
लीक से हटकर चल नहीं सकते हैं
नौकरी भर की ही पढते हैं
डरे हुए लोग.
पंडे-बाबा, मठ-मंदिर सब आबाद करते हैं
भूखे को भगाते हैं, भगवान को भरते हैं
फरेब को भी पुण्य समझते हैं
लीक से हटकर चल नहीं सकते हैं
नौकरी भर की ही पढते हैं
डरे हुए लोग.
वे देखकर भी नहीं देखते
सुनकर भी नहीं सुनते
जो सोचते हैं वो नहीं कहते
पसीने में खून, खून में पसीना भरते हैं
छोटे छोटे फायदे के लिए मारकाट करते हैं
फिर भी सच और इंसाफ की दुनिया चाहते हैं
डरे हुए लोग.
सुनकर भी नहीं सुनते
जो सोचते हैं वो नहीं कहते
पसीने में खून, खून में पसीना भरते हैं
छोटे छोटे फायदे के लिए मारकाट करते हैं
फिर भी सच और इंसाफ की दुनिया चाहते हैं
डरे हुए लोग.