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शनिवार, 27 अक्तूबर 2012

मैं चाहता हूं





मैं चाहता हूं तुमको प्यार करना टूटकर
जैसे सरसों की देह पर पगली हवा
घंटों लहराता है खेत
पहरों बजता है फूलों का गीत

मैं चाहता हूं तुम थरथराओ
जैसे दूब पर थरथराती है ओस
रगों में दौड़े मेरा रोएंदार स्पर्श
और तुम भड़भड़ाने से पहले संभल जाओ

मैं चाहता हूं तपती दोपहरी में कभी मिलो
गदराये गुलमोहर की तरह टह-टह
आंखों में लाली रचती रहे
सांसों की गांठे चटखती रहें 


मैं चाहता हूं तुम मुझसे लड़ो
और खूब लड़ो
जैसे पोखर से लड़ती है बारिश
गुत्थमगुत्था

मैं चाहता हूं बिखरना   
तुम्हारे पाश में रेशा-रेशा
जैसे झड़ता है हरसिंगार
सुबह तक गमकता है सारा मुहल्ला