सफेद चोटियों पर अभी अभी
सुनहरी धूप गिरी है
टेबल पर रखे प्याले से भाप
उठ रही है
बगल की कुर्सी पर एक दोस्त
चौड़ा पड़ा है
तस्वीर के नीचे लिखा है- स्विटजरलैंड
की वादियों में सुबह की कॉफी
मार्निंग इन पैराडाइज़ !!
रंगीन पत्तियों से लदे
पौधों की लंबी कतार है
पीछे की हरी पहाड़ियों पर
गहरा धुआं है
बीच की पगडंडी से पति संग
इठलाती आती साहिबा हैं
पूछा है - ये क्या जगह है
दोस्तों, ये कौन सा दयार है
एक मित्र का मोबाइल गुम हो गया
है
सारे नंबर चले जाने पर
बेचारा बड़ा रोया है
कई दोस्तों ने तरह तरह का मोबाइल-दर्द
सुनाया है
लगे हाथ अपना नंबर भी बताया
है
मसूरी में अभी अभी बारिश
हुई है
दिल्ली से गये एक भाई की
लॉटरी निकल आई है
आलू-प्याज के पकौड़ों संग
ग्लास भर चाय की तस्वीर चिपकाई है
किसी महिला मित्र ने लिखा
है- यार दिस इज़ नॉट फ़ेयर
कोई आधे सफर में है, कोई
नये शहर में है
कोई अर्से बाद गांव पहुंचा
है, कोई सगाई करके शहर लौटा है
एक ने हाथों की मेंहदी दिखाई
है, दूसरे ने दिल की पीर सुनाई है
कुछ ने बड़े सवाल पर खुली
बहस छेड़ी है, कईयों के बीच मेरी तेरी हुई पड़ी है
किसी ने पूछा है इस देश में
नेताओं औऱ बाबाओं का क्या किया जाए ?
जवाब आया है – जहाज़ पर
चढाकर हिंद महासागर में डुबो दिया जाए
भ्रष्टाचार पर हंगामा खत्म
करने का कुछ ने रखा है अनोखा नुस्खा
भई क्या कुछ ले-देकर ये
नहीं निपट सकता ?
एक मित्र ने सालों पुरानी
ग्रुप फोटो लगाई है, सालों बाद उन लम्हों की याद आई है
प्राइमरी स्कूल के मेरे मास्टर
साहेब कितने बूढ़े हो गये हैं
वो और उनका पोता दोनों मेरे
फ्रैंड हो गये हैं
जो छूट गये थे कहीं वो फिर
मिल गये हैं
जिनसे मिले नहीं कभी वो भी
जुड़ गये हैं
पूछना नहीं है, पता सब रहता
है
देखा नहीं लेकिन पहचाना रहता
है
हाल और चेहरों का सिलसिला
सा चलता है
जगह और रास्तों पर मशविरा
सा चलता है
जीत औऱ जश्न की खुशियां यहां
साझा हैं
तरक्की और तमगों बधाइयां
ज्यादा हैं
जिंदगी का हर रंग लिए पल पल
बदलता संसार है
फेसबुक , जाने-अनजाने
चेहरों, नाम-अनाम रिश्तों का अंतहीन विस्तार है