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शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

मुनादी


   
   

टीवी पर बड़ी बहस है ज़रुर आईएगा
वाड्रा की ज़मीन पर जंग बाकी है
कानून मंत्री का कलंक कांड बाकी है
कमलवाले का जमीन घोटाला बाकी है
बाकी है आम आदमी के नाम पर प्रचार-तांडव
दिल्ली की शानदार सड़कों पर पुलिस से भिड़ंत बाकी है

बीस जगहों पर झड़प की चालीस तस्वीरें देखिए
ज़ुल्म पर नये जननायकों का हाहाकार बाकी है
कैमरों का रेला है, नेता-नायक-मीडिया का मेला है
मेहनतकश का दीवाला है, अरबों का घोटाला है
व्यवस्था की चूलें हिलेंगी, बेईमानी की मीनारें गिरेंगी
सारा देश दिल्ली आ रहा है बस आपका आना बाकी है

जनता के हक के लिये तो दिल्ली में जमना होगा
इस जनविरोधी हुकूमत को हर कीमत पर बदलना होगा
गिरफ्तारी दो, जेल भरो, घेराव करो, टकराव करो
सारी कब्रें खोद डालो, चेहरे सारे बेनकाब करो
हवा बनेगी हंगामे से बस थोड़ी कसर बाकी है 

दिल्ली के बाहर तो बिलखता-बिलबिलाता हिंदुस्तान है
औलाद बेचती मां, आत्महत्या करता किसान है
जल-ज़मीन-जंगल की लड़ाइयों को आखिर किसने जाना
जिस आंधी ने नहीं हिलाई दिल्ली हुक्मरानों ने उसे कहां माना
देखो पहन ली जनता की टोपी , अब टोपी का खेल बाकी है

लोकतंत्र के नाम पर नेताओं ने सत्यानाश किया
मिल बांट खाया, सेहत बनाई , कहा- देश का विकास किया
लड़े-झगड़े, गिरे-पकड़े, जनता का लगाया जयकारा
वही नियम, वही नतीजे, तंत्र जीता लोक हारा
अब नेताजी की पोल खुल रही, पट्टी उतरना बाकी है 

गांधी बिक रहे, जेपी बिक रहे, नारे वादे सब बिक रहे
फायदे के फलसफे, खबर के नवीस बिक रहे
सुना है पटना में दो बच्चों ने साझे में ठेला लगाया है
हमीरपुर में किसान ने सपरिवार जहर खाया है
ऐसी खबरों के लिये माफ कीजिए, अभी दिल्ली से खबर बाकी है ।