तारों के बीच एक तारा रेंग
रहा है
ऐसा लग रहा है जैसे वो तारों
से गले मिलता जा रहा है
देखते देखते वो सामनेवाली
छत के ऊपर चला गया
घुप्प अंधेरी रात है, गांव को
चारों ओर से चितरा का पानी घेरे हुए है
मेंढक और झिंगुर की आवाज
बस्ती भर दौड़ रही है
लेकिन आसमान जगमग है मानों
कोई बारात आई हो
लोग अपनी अपनी छतों पर सो
रहे हैं, मेरा परिवार, पट्टीदार भी
रेंगता हुआ तारा अब मुहल्ले
से बाहर निकलने लगा है
दादाजी ने आहिस्ते से कहा –
देखो एक तारा कहीं जा रहा है
दादा-पोता दोनों चित्त पड़े
तारा देख रहे हैं
दादा ये कहां जा रहा है ?
गांव के बाहर से गुजरती
सड़क पर तभी जोर का घंटा बजा
कई लोगों की एक साथ आवाज आई
- राम नाम सत्य है
दादाजी कुछ हल्का सा
बुदबुदाए
फिर धीरे से कहा – अभी कोई
मरा है, आसमान में अपना घर ढूंढ रहा है
ये तारा वही है ।