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मंगलवार, 11 मई 2021

कोरोना की एक सुबह



धरती उतनी ही गोरी है

आज भी
वही सुनहरी सूर्य रश्मियाँ
नदी वैसी ही शांत साँवली सी
रास्ते अब भी
हर पते तक जाते हैं
छतों में घुल रही है
गुनगुनाहट धीरे धीरे
घरों में लोग जगे बैठें हैं
चुपचाप
ठीक समय पर आया था
सूरज
ठीक समय पर होगी
साँझ
दिन चाहे जितने कठिन हों
प्रकृति, निरंतर चलने का
सिद्धांत नहीं बदलती।