यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

बलात्कार




वो सचमुच सुनैना थी
मेरी मां कहती थी – भगवान ने इसकी आंखों की कढाई करवाई होगी
कच्चे मक्के की लड़ियों जैसे थे उसके दांत
बसंती हवा की तरह मुहल्ले भर फुदकती रहती थी
उसकी पायलों की झन-झन से उसके होने का पता चलता था
सुनैना , ना बोल सकती थी और ना सुन पाती
ऊपरवाले ने यही नाइंसाफी उसके साथ की थी
एक सुबह सुनैना के घर में कोहराम मच गया
रात आंगन में ही सोयी थी, लेकिन खटिया समेत गायब है सुनैना
सारा गांव झाड़-झंखाड़, खेत-बधार, घर-दुआर खंगालने लगा
घंटों बाद दूर की आमवाड़ी के पास मक्के के खेत में
खाट पर बेसुध मिली सुनैना
गांवभर को काठ मार गया
सुनैना की मां अचानक जोर ज़ोर से चीखने लगी
छाती पीट-पीट लोटने लगी
मेरी बेटी बर्बाद हो गयी
मेरी कोमल सी बच्ची को हरामियों ने नोच डाला रे  
अब हम का मुंह दिखाएंगे
सुनैना का बापू उसका सिर अपने सीने में धंसाए
फफक-फफक रो रहा था .
सुनैना के शरीर में सांस चलने के सिवा
जिंदा होने की कोई हरकत नहीं थी
गांव गुस्से में दहक रहा था
नौजवान आंखें लाल थीं, ज्यादातर आस्तीनें चढी हुई थीं
सरपंच ने हुंकार भरी- जिन कमीनों ने ये कुकर्म किया है
उनको चौराहे पर लटकाया जायेगा
पुलिसवाले आए, गांव भर को हड़काए
सुन लो जिसने भी किया है वो बच नहीं सकता
इतना ठुकेगा कि सात पुश्तें लूली-लंगड़ी पैदा होंगी
अखबारों में बड़े बड़े अक्षऱों में सुनैना की खबर छपी  
अगले ही दिन मंत्री जी का गांव का दौरा हो गया
गाड़ियों के काफिले से मुहल्ला भर गया
मंत्री जी ने एलान किया
संसद में सुनैना का मसला उठाएंगे
हर कीमत पर सख्त से सख्त कानून बनायेंगे
दोषियों को फांसी पर लटाकाएंगे .
सुनैना हादसा नहीं बड़ी खबर हो गयी
रैलियां, नारे, प्रदर्शन और राजनीति हो गयी
आंसू, दर्द , मरहम और मसला हो गयी
वो जो कुछ नहीं हो सकती थी , सब हो गयी
लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ – जो होना चाहिए था
सुनैना जिंदा लाश हो गयी
घर के पिछवाड़े गौशाले के पास
धूल-मिट्टी सनी लेटी पड़ी रहती
कभी कभी मां-बेटी को लिपट-लिपट रोते हुए कुछ लोगों ने देखा
सुनैना का बाप कम ही दिखाई देता
सांझ के झुटपुटे में या ओसिआए भोर में ही
लोगों ने उसे देखा
सिर तक चादर लपेटे, आंख बचाते, तेज़-तेज़ चलते हुए.
एक सुबह अचानक गांव में फिर कोहराम मचा
गांव के चार लड़कों की लाश चौंर में पड़ी थी
सबके लिंग कटे थे , गर्दन उतरी थी
सुनैना खेत की पगडंडियों पर खूब तेज दौड़ रही थी
उसकी हंसी दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी
उस दिन के बाद सुनैना के बाप को 
किसी ने कहीं नहीं देखा.