वो शैतान के जादू की शापित छड़ी है
रात बिछाती है दिन में
रात में दिन पसारती है
कौवों को सफेद
कबूतरों को काला बनाती है ।
देवलोक की गुफाओं में
अबूझ कंदराओं में
कुबेर का करिश्माई दीया है
हर आराध्य बड़ा साफ दिखता है
मरी मुरादों को भी संजीवनी पिलाता है ।
उसने खुद खड़ा किया है अपना इंद्र
मेनका की मृगतृष्णा बनाई है
नारद की वीणा के राग गढे हैं
लक्ष्मी के कदम साधे हैं
वो मायानगरी की सबसे बड़ी माया है ।
उसने सोख लिया है धरती का रस
छीन ली है वेताल की शक्ति
पंगू कर दिए हैं यक्ष के प्रश्न
पहाड़ भी पनाह मांगता है